देहरादून : लोकसभा चुनाव को ऐलान हो गया है। उत्तराखंड में 19 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। राजनीतिक दलों ने चुनावी मैदान ताल ठोक दी है। वोटरों को लुभाने के लिए अब घोषणाओं और वादों का दौर भी शुरू होगा। लेकिन, उससे पहले राजनीतिक दल वोटरों को साधने के लिए योजनाएं बनाने में जुटे हैं। लेकिन, सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि नेताओं के संसद तक पहुंचने चाबी किसके हाथ में है? ये किसका भाग्य बनाएंगे और किसका खेल बिगाड़ेंगे?
उत्तराखंड की बात करें तो राज्य में सत्ता की चाबी युवाओं के हाथ में हैं। युवा ही ही हैं, जो नेताओं का भाग्य बना और बिगाड़ सकते हैं। राज्य में युवा मतदाताओं की संख्या 70 प्रतिशत से अधिक है। इसमें 30 से 39 साल की उम्र के सबसे ज्यादा वोटर हैं।
लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बाद उत्तराखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने मतदाताओं के आयु वर्गवार आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों के अनुसार वर्ष 18-19 से लेकर 40 से 49 वर्ष के आयु वर्ग में मतदातों की संख्या सर्वाधिक है। वहीं, 60 से 80 व इससे अधिक वर्ष के मतदाताओं की संख्या सबसे कम करीब 16 प्रतिशत के बीच है। मतदाताओं का जो वर्ग वरिष्ठ नागरिक होने के करीब (50 से 59 वर्ष) है, उसका आंकड़ा 15 प्रतिशत के करीब है।
वोटरों के आंकड़े
एज ग्रुप | वोटर | वोट प्रतिशत |
18-19 | 1.45 लाख | 1.74% |
20-29 | 16.60 लाख | 20% |
30-39 | 22.44 लाख | 27% |
40-49 | 17.04 लाख | 21% |
50-59 | 11.86 लाख | 15% |
60-69 | 7.5 लाख | 9.01% |
70-79 | 4.14 लाख | 4.97% |
80 अधिक | 1.54 लाख | 1.85% |
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