नई दिल्ली: पैदल चलने वालों के फुटपाथ के अधिकार की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को गाइडलाइंस तैयार करने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला की अगुआई वाली बेंच ने शुक्रवार को यह मान्यता दी कि पैदल चलने के फुटपाथ का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह याचिका पैदल चलने वालों की सुरक्षा से संबंधित है और अगर केंद्र सरकार ने दिशा-निर्देश तैयार नहीं किए तो अदालत खुद वकीलों की मदद से आवश्यक कदम उठाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, नागरिकों के उपयोग के लिए उचित फुटपाथ होना आवश्यक है। ये फुटपाथ इस प्रकार होने चाहिए कि वे दिव्यांग व्यक्तियों के लिए भी सुलभ हों और इन पर हुए अतिक्रमणों को हटाना जरूरी है। सीनियर वकील गौरव अग्रवाल इस मामले में एमिकस क्यूरी यानी कोर्ट सलाहकार बनाए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नागरिकों के लिए उचित फुटपाथ जरूरी है। अदालत ने छह महीने के भीतर केंद्र को राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया और साफ किया कि अब और समय नहीं दिया जाएगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी में कहा है कि पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ उपलब्ध कराना जरूरी है क्योंकि यह उनके मौलिक अधिकार हैं कि उन्हें फुटपाथ मिले।
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