नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च न्यायालय में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। वर्तमान प्रधान न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बी.आर. गवई के सेवानिवृत्त होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत को भारत का अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी है।
जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर 2025 को देश के 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। उनका कार्यकाल 14 महीनों का होगा और वह 9 फरवरी 2027 को सेवानिवृत्त होंगे।
वर्तमान सीजेआइ जस्टिस बी.आर. गवई 23 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे। निर्धारित परंपरा के अनुसार, उन्होंने ही अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस सूर्यकांत का नाम सुझाया था। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर जस्टिस सूर्यकांत को इस नियुक्ति पर बधाई दी है।
साधारण पृष्ठभूमि से न्यायपालिका के शिखर तक का सफर
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक साधारण वकील के रूप में की और मेहनत व ईमानदारी के बल पर देश की सर्वोच्च न्यायिक कुर्सी तक पहुंचे।
वे 9 जनवरी 2004 को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने। इसके बाद 5 अक्टूबर 2018 को उन्हें हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। तत्पश्चात 24 मई 2019 को वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने। जस्टिस सूर्यकांत उन पीठों में शामिल रहे हैं, जिन्होंने देश के इतिहास में कई अहम फैसले दिए हैं।
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वे जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने, पेगासस जासूसी मामले, और राजद्रोह कानून (सेडिशन लॉ) को फिलहाल स्थगित रखने जैसे महत्वपूर्ण मामलों में सुनवाई करने वाली पीठ का हिस्सा रहे हैं। 
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उन्होंने उस आदेश में भी भूमिका निभाई थी, जिसमें अदालत ने केंद्र और राज्यों को राजद्रोह के मामलों में नई एफआईआर दर्ज न करने के निर्देश दिए थे। 
वर्तमान में जस्टिस सूर्यकांत बिहार एसआईआर मामले की अध्यक्षता कर रहे हैं। उनकी पीठ ने हाल ही में चुनाव आयोग को बिहार की मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का विवरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। यह मामला अभी विचाराधीन है और आगामी मंगलवार को इस पर पुनः सुनवाई होगी।
इसके अलावा, राष्ट्रपति और राज्यपाल की विधेयकों पर निर्णय संबंधी शक्तियों को लेकर दायर प्रेसीडेंशियल रिफरेंस मामले की सुनवाई करने वाली पीठ में भी जस्टिस सूर्यकांत शामिल थे। इस पर आने वाला फैसला सभी राज्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

 
                                               
                                               
                                               
                                               
                                               
                 
                   
                   
                   
                  
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