न्यूयॉर्क : विश्व की प्रमुख निवेश कंपनी ब्लैकरॉक की सहायक कंपनी एचपीएस इन्वेस्टमेंट पार्टनर्स ने भारतीय मूल के सीईओ बंकिम ब्रह्मभट्ट पर 500 मिलियन डॉलर (करीब 4,200 करोड़ रुपये) से अधिक की ठगी का आरोप लगाया है। कंपनी का दावा है कि ब्रह्मभट्ट की टेलीकॉम फर्म ने फर्जी खातों और दस्तावेजों के जरिए इस घोटाले को अंजाम दिया। हालांकि, ब्रह्मभट्ट के वकील ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया है।
एचपीएस ने सितंबर 2020 में ब्रह्मभट्ट की कंपनी के साथ साझेदारी की थी। 2021 में 385 मिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की गई, जिसे अगस्त 2024 में बढ़ाकर 430 मिलियन डॉलर कर दिया गया। लेकिन जुलाई में कंपनी को निवेश से जुड़े कुछ संदिग्ध ईमेल मिले, जिनमें फर्जी पते इस्तेमाल किए गए थे। इसकी जानकारी ब्रह्मभट्ट को दी गई, जिन्होंने समस्या सुलझाने का आश्वासन दिया।
हालांकि, आरोप है कि इसके बाद ब्रह्मभट्ट ने फोन उठाना बंद कर दिया। जब एचपीएस के अधिकारी उनकी कंपनी पहुंचे, तो पता चला कि फर्म बंद हो चुकी है और वह दिवालिया घोषित हो गई है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रह्मभट्ट के गार्डन सिटी स्थित घर का दौरा करने पर भी उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। कंपनी का मानना है कि ब्रह्मभट्ट फिलहाल भारत में हैं।
एचपीएस ने अगस्त में ब्रह्मभट्ट और उनकी कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया। पुलिस जांच में सामने आया कि निवेश से जुड़े सभी ईमेल फर्जी थे। कंपनी का दावा है कि ब्रह्मभट्ट ने प्रस्तुत की गई बैलेंस शीट भी कागजी थी और निवेशित राशि को भारत तथा मॉरीशस में स्थानांतरित कर दिया गया।
पुलिस इस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है। एचपीएस के प्रवक्ता ने कहा, “यह एक सुनियोजित धोखाधड़ी है, जिसने कंपनी को भारी नुकसान पहुंचाया है। हम न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।” वहीं, ब्रह्मभट्ट के वकील ने बयान जारी कर कहा कि आरोप निराधार हैं और अदालत में सच्चाई सामने आएगी।
यह घटना निवेश जगत में फर्जीवाड़े के बढ़ते मामलों को उजागर करती है, जहां बड़े निवेशकों को भी ठग लिया जा रहा है। जांच के नतीजे आने तक दोनों पक्षों की ओर से और बयान आने की उम्मीद है।

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