18 November 2025

सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकने की घटना : चीफ जस्टिस ने कहा ‘भूला हुआ अध्याय’, जज भुईंया बोले ‘संस्थान पर आघात’

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने अपनी ओर जूता फेंके जाने की कोशिश की हालिया घटना को ‘भूला हुआ अध्याय’ करार दिया है। यह टिप्पणी उन्होंने गुरुवार को उस समय की, जब सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायण ने एक मामले की सुनवाई के दौरान करीब 10 साल पहले हुई ऐसी ही एक घटना का जिक्र किया। शंकरनारायण ने बताया कि उस समय अदालत ने ऐसी हरकत करने वाले के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की थी।

सुप्रीम कोर्ट में वनशक्ति फैसले पर पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई के दौरान शंकरनारायण ने कहा, “मैंने इस विषय पर एक लेख लिखा था। लगभग एक दशक पहले ऐसी घटनाएं कोर्ट में हुई थीं। तब दो जजों ने अवमानना की शक्तियों और उनकी प्रक्रिया पर अपनी राय दी थी कि ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए।”

इस पर चीफ जस्टिस गवई ने कहा, “सोमवार को जो हुआ, उससे मैं और मेरे साथ बैठे जज स्तब्ध थे, लेकिन अब यह हमारे लिए एक भूला हुआ अध्याय है।” हालांकि, बेंच के अन्य जज उज्जल भुईंया ने इस घटना को गंभीरता से लिया। उन्होंने कहा, “मेरे विचार इससे अलग हैं। इस घटना को भूलना नहीं चाहिए। यह देश के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ हुआ। यह कोई हल्की बात नहीं है। मैं किसी को भी माफी देने के पक्ष में नहीं हूं। यह पूरे संस्थान पर आघात है। हम जजों के रूप में सालों तक ऐसे फैसले लेते हैं, जो शायद कुछ लोगों को पसंद न आएं, लेकिन इससे हमारे निर्णयों पर हमारा विश्वास कम नहीं होता।”

यह घटना सुप्रीम कोर्ट के सम्मान और उसकी गरिमा को लेकर एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। जज भुईंया के बयान ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी घटनाएं न केवल व्यक्तिगत अपमान हैं, बल्कि पूरे न्यायिक संस्थान पर हमला हैं।