देहरादून : अध्यक्ष उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड एवं संस्थापक सर्व धर्म एकता संघ मुफ्ती शमून कासमी ने कहा मैं बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ किए गए अत्याचारों की रिपोटों से बहुत दुखी और स्तब्ध हूं। हिंसा और अन्याय के ऐसे कृत्य न केवल अमानवीय हैं, बल्कि शांति, सह-अस्तित्व और आपसी सम्मान के बुनियादी सिद्धांतों के भी खिलाफ हैं, जिनका पालन हर आस्था और सभ्य समाज करता है।
उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष और सांप्रदायिक सौहार्द्र और अंतर-धार्मिक संवाद के एक मजबूत समर्थक के रूप में, मैं इन हमलों की कड़ी से कड़ी निंदा करता हूं। बांग्लादेश सहित सभी सरकारों के लिए यह अनिवार्य है कि वे प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा, गरिमा और अधिकार सुनिश्चित करें, चाहे उनकी धार्मिक या जातीय पहचान कुछ भी हो। किसी भी अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाना मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और किसी भी राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरा है। मैं बांग्लादेशी अधिकारियों से अपराधियों के खिलाफ त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करने, पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने और सभी अल्पसंख्यक समुदायों को सम्मान और सम्मान के साथ रहने के लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करने का आह्वान करता हूं।
अध्यक्ष उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड मुफ्ती शमून कासमी ने कहा कि मैं बांग्लादेश सरकार से आग्रह करता हूं कि वह इन जघन्य कृत्यों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करके इन सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करे। इसे भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उपाय भी लागू करने चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि अल्पसंख्यक बिना किसी डर के रहें और उन्हें अपनी मातृभूमि में पनपने के समान अवसर प्रदान किए जाएं। आइए याद रखें कि सच्ची ताकत एकता और करुणा में निहित है। मैं नेताओं, धार्मिक विद्वानों और सभी समुदायों के व्यक्तियों से आग्रह करता हूं कि वे हिंसा के इन कृत्यों की निंदा करने के लिए एकजुटता के साथ खड़े हों और एक ऐसी दुनिया की दिशा में काम करें जहां विविधता का जश्न मनाया जाए और हर इंसान के साथ वह सम्मान किया जाए जिसके वे हकदार हैं।
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