उत्तरकाशी: उत्तरकाशी टनल हादसे के बाद सुरंग के भीतर फंसे मजदूरों को तीसरे दिन भी बाहर नहीं निकाला जा सका है। माना जा रहा है कि इसमें कम से कम एक दिन और लग सकता है। भीतर जो मजदूर फंसे हैं, उनकी स्थिति इस वक्त क्या होगी? उनके हौसले की दाद देनी होगी कि वो विपरीत परिस्थियों में भी खुद को संभाले हुए हैं। गनीमत है कि सभी मजदूर सुरक्षित हैं, लेकिन सवाल यह है कि आखिर कब तक वो ऐसे ही टनल के भीतर कैद रहे सकते हैं। देश की तमाम एजेसियां के एक्सपर्ट मौके पर हैं। रेस्क्यू के विभिन्न प्लान बनाए गए, लेकिन अब तक कोई प्लान सफल नहीं हो पाया है। टनल के भीतर ह्यूम पाइप डालकर मजदूरों को बाहर निकालने का काम शुरू तो किया गया, लेकिन काम बीच में ही ठप हो गया। ड्रिलिंग मशीन खराब होने से काम को रोकना पड़ा। अब एक और मशीन को फिट करने का काम किया जा रहा है।
ऑगर ड्रिलिंग मशीन से एस्केप टनल तैयार करने का काम शुरू हुआ। मशीन के जरिये मलबे के बीच करीब तीन मीटर पाइप भी डाला गया। अचानक मशीन में तकनीकी खराबी आ गई। भले ही यह बताया जा रहा है कि मशीन के कुछ कलपुर्जे टूट गए हैं। ड्यूटी इंचार्ज इंजीनियर अमन बिष्ट ने कहा कि रात के समय जब ऑगर ड्रिलिंग मशीन का संचालन शुरू हुआ तो मशीन में कुछ तकनीकी खराबी आ गई।
इस मशीन से भूस्खलन के मलबे के बीच 800 मिमी व्यास के छह मीटर लंबाई वाले 11 स्टील पाइप बिछाए जाने हैं। प्रशासन ने उम्मीद जताई है कि अगले 24 घंटे में सभी श्रमिकों को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा। इस कार्य के लिए सरकार की ओर से सेना के कर्नल दीपक पाटिल को विशेष रूप से उत्तरकाशी बुलाकर राहत और बचाव अभियान की कमान सौंपी है।
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