कोटद्वार । शैलशिल्पी विकास संगठन के संरक्षक एवं वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, 79 वर्षीय सेवानिवृत प्रधानाध्यापक मनवर सिंह आर्य का ह्रदय गति रुकने से देर रात निधन हो गया, उनके निधन के समाचार से कोटद्वार सहित गढ़वाल में शोक की लहर है। मूल रूप से ग्राम गिवली, पट्टी पिंगला पाखा, पोखड़ा ब्लॉक निवासी सेवानिवृत प्रधानाध्यापक मनवर सिंह आर्य दशकों से कोटद्वार के पदमपुर सुखरों में अपने भरे- पूरे परिवार सहित रहते थे, सेवानिवृत होने के बाद वह सक्रिय रूप से सामाजिक गतिविधियों में शामिल रहते थे, आर्य ने एक बेहतरीन वक्ता के साथ ही मिलनसार व्यक्ति के रूप में समाज में अपनी जगह बनाई थी, जब भी किसी भी सामाजिक या राजनीतिक मंच पर उनका वक्तव्य होता था तो जनता उन्हें सुनने के लिए आतुर रहती थी । वह अपने भाषणों में बड़ी से बड़ी बात को भी बहुत सरलता से अपने मजाकिए अंदाज में बोल देते थे ।
शुक्रवार देर शाम अचानक उनके सीने में दर्द हुआ तो परिजन तत्काल उन्हें उपचार हेतु कोटद्वार बेस हॉस्पिटल लेकर पहुंचे, उनकी नाजुक हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें देहरादून हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया, लेकिन देहरादून जाते हुए हरिद्वार में ही लगभग 10 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली । शनिवार को हरिद्वार स्थित चंडीघाट में सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में उनके तीनों पुत्रों ने उन्हें मुखाग्नि दी ।
शैलशिल्पी विकास संगठन के अध्यक्ष विकास कुमार आर्य ने कहा कि संगठन के संरक्षक मनवर सिंह आर्य की कमी संगठन को हमेशा खलती रहेगी, उनके निधन से शिल्पकार समाज ने अपना एक मजबूत विचारक एवं पैरोकार को खो दिया है । उनकी अंत्येष्टि संस्कार में संगठन की ओर से प्रधानाचार्य मनवर लाल भारती, सेवानिवृत रेंजर केशी राम निराला, जयदेव सिंह मानव, शिवकुमार, अनूप कुमार पाठक, अनिल कुमार, सेवानिवृत डीएफओ धीरजधर बछुवान, देवेंद्र कुमार, संजीव संकल्प, सुरवीर खेतवाल, प्रभु दयाल, आदि लोग शामिल हुए।

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