- बाजार में काश्तकार 6 सौ रुपये से अधिक प्रति किलोग्राम की दर से कर रहे मछली का विपणन
चमोली : चमोली जिले में 6 सौ से अधिक काश्तकार मत्स्य पालन के जरिये अपनी आजीविका को मजबूत कर रहे हैं। जिले में काश्तकार ट्राउट के साथ कार्प और पंगास मछली का उत्पादन कर बेहतर आय अर्जित कर रहे हैं। जिससे जनपद के काश्तकारों को घर पर रोजगार मिलने से पलायन पर भी प्रभावी रोक लग रही है।
चमोली जिले में मत्स्य पालन विभाग की ओर से प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना और राज्य सेक्टर से संचालित योजनाओं के माध्यम से काश्तकारों को मत्स्य पालन से जोड़ा जा रहा है। जिसे बेहतर परिणाम सामने आने लगे हैं। जिले में कुल 8 मत्स्यजीवी सहकारी समितियां और 6 सौ काश्तकार ट्राउट, कार्प और पंगास मछली का उत्पादन कर रहे हैं। जिसे काश्तकार की ओर से 6 से 8 सौ रुपये प्रति किलो की दर से विपणन कर लाखों की आय अर्जित कर रहे हैं।
क्या कहते हैं काश्तकार
- कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन में मुझे पंतनगर से जॉब छोड़कर घर लौटना पड़ा। जिसके बार मत्स्य विभाग की ओर प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना की जानकारी दी गई। जिसके बाद विभाग की ओर से मुझे फिश रेस वेज तैयार कर ट्राउट मछली पालन का प्रशिक्षण दिया गया। मेरे द्वारा बीते वर्ष मेरे द्वारा 10 कुंतल मछली का विपणन कर 4 लाख की आय अर्जित की है। – पवन राणा, मत्स्य पालक, बैरागना, दशोली चमोली।
- मत्स्य पालन विभाग की मदद से वर्ष 2023 में मैंने अपने गांव में पंगास मछली का उत्पादन शुरू किया था। बीते वर्ष मैंने 8 कुंतल मछली का विपणन कर 3 लाख की आय अर्जित की है। – हरीश सिंह राणा, पुणकिला, घाट, चमोली।
चमोली जिले में 8 मत्स्यजीवी सहकारी समितियां और 6 सौ काश्तकार ट्राउट, कार्प और पंगास मछली का उत्पादन कर रहे हैं। जनपद में मत्स्य पालन स्वरोजगार के बेहतर साधन के रूप में विकसित हो रहा है। मत्स्य पालन से जहां काश्तकारों की आय मजबूत हो रही है। वहीं रोजगार के लिए होने वाले पलायन पर भी प्रभावी रोक लग रही है। – जगदम्बा चमोली, जनपद मत्स्य प्रभारी, चमोली।
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