हरिद्वार : डॉ. अवनीश कुमार उपाध्याय आयुर्वेद के क्षेत्र में एक अग्रणी नाम हैं। उनका कार्य न केवल आयुर्वेदिक चिकित्सा के विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि उन्होंने इसे आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ एकीकृत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ. उपाध्याय का लक्ष्य आयुर्वेद को एक समग्र स्वास्थ्य प्रणाली के रूप में स्थापित करना है, जो सभी वर्गों के लोगों को लाभ पहुंचा सके। डॉ. अवनीश उपाध्याय का जन्म और पालन-पोषण उत्तराखंड के एक छोटे से गांव में हुआ। बचपन से ही उन्हें आयुर्वेद के प्रति गहरी रुचि थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय विद्यालयों से प्राप्त की। इसके बाद, आयुर्वेद में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के लिए उन्होंने ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज, हरिद्वार में प्रवेश लिया। यहाँ उन्होंने बीएएमएस की डिग्री हासिल की और आयुर्वेद की गहराई में उतरने का अवसर प्राप्त किया। अपनी स्नातक की पढ़ाई के बाद, डॉ. उपाध्याय ने क्लिनिकल रिसर्च में पोस्ट ग्रेजुएट किया। यह अध्ययन उनके लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, क्योंकि इस दौरान उन्होंने चिकित्सा अनुसंधान के महत्व को समझा और इसकी वैज्ञानिकता को आयुर्वेद के साथ जोड़ने का प्रयास किया। इसके बाद, उन्होंने देव संस्कृति विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उनकी शोध में विशेष रूप से आयुर्वेदिक औषधियों के प्रभाव और उनकी गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया।
डॉ. अवनीश कुमार उपाध्याय के कार्य अनुभव
डॉ. उपाध्याय का करियर 20 वर्षों से अधिक का है, जिसमें उन्होंने विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में कार्य किया है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के पीपली क्षेत्र में वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी एवं नोडल अधिकारी के रूप में कार्य किया हैं। अपने करियर में उन्होंने ब्रह्म कप चिकित्सालय, दिव्य फार्मेसी, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क, और डेल्टास फार्मा जैसे संस्थानों में काम किया है। इन संगठनों में उन्होंने आयुर्वेदिक चिकित्सा, अनुसंधान, गुणवत्ता नियंत्रण, और औषधियों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके अतिरिक्त उन्होंने राष्ट्रीय आयुष मिशन के अंतर्गत उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार करने में भी प्रमुख भूमिका निभाई है।
- ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसी (निर्माण वैद्य, अगस्त 2022 से वर्तमान)
डॉ. उपाध्याय ने इस फार्मेसी में निर्माण वैद्य के रूप में कार्य करना शुरू किया। यहाँ उनका मुख्य कार्य आयुर्वेदिक औषधियों के उत्पादन में उच्च गुणवत्ता मानकों की स्थापना करना और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करना था। उन्होंने फार्मेसी की उत्पादन प्रक्रियाओं को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई उपाय किए, जैसे कि मानकीकरण प्रक्रियाओं का विकास और प्रबंधन।
- पतंजलि योग पीठ और दिव्य फ़ार्मेसी (वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक)
पतंजलि योग पीठ में काम करते हुए, डॉ. उपाध्याय ने आयुर्वेदिक उत्पादों के अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यहाँ उन्होंने जड़ी-बूटियों के औषधीय गुणों पर शोध किया और नई औषधियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में कई नैदानिक अनुसंधान परियोजनाएं सफलतापूर्वक संपन्न हुईं। ब्रह्म कप चिकित्सालय में, आयुर्वेदिक चिकित्सा सेवाओं में अपनी विशेषताओं का लाभ उठाते हुए रोगियों का उपचार किया। यहाँ उन्होंने विभिन्न रोगों के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों का प्रयोग किया और विभिन्न औषधीय संयोजनों का परीक्षण किया। उनके प्रयासों से रोगियों में आयुर्वेद के प्रति विश्वास और जागरूकता में वृद्धि हुई। दिव्य फार्मेसी में कार्य करते हुए आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने औषधियों के गुणवत्ता प्रबंधन और मानकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार हुआ। उनके प्रयासों से यहाँ उत्पादित औषधियों का मानक बढ़ा, और ये औषधियाँ बाज़ार में प्रतिस्पर्धी हुईं। पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड में, उन्होंने औषधियों के अनुसंधान एवं विकास में प्रमुख भूमिका निभाई। यहाँ उन्होंने जड़ी-बूटियों के औषधीय गुणों पर अनुसंधान किया और कई नए उत्पादों के निर्माण में योगदान दिया। उनके द्वारा किए गए अनुसंधान से अनेक नई औषधियाँ बनाई गईं, जो रोगियों के लिए लाभकारी सिद्ध हुई। पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क में कार्यरत रहते हुए, उन्होंने वैल्यू एडिशन और गुणवत्ता नियंत्रण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यहाँ उन्होंने स्थानीय स्तर पर प्राप्त होने वाली जड़ी- बूटियों का प्रयोग कर उच्च गुणवत्ता की आयुर्वेदिक औषधियों का उत्पादन किया। उनके प्रयासों से जड़ी- बूटियों के स्रोतों का सही तरीके से उपयोग हुआ और इससे किसानों एवं स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिले।
- ऋषिकुल कैंपस, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय (कंसल्टेंट फिजिशियन)
डॉ. उपाध्याय ने इस विश्वविद्यालय में कंसल्टेंट फिजिशियन के रूप में कार्य किया। यहाँ उन्होंने आयुर्वेदिक चिकित्सा में नवीनतम तकनीकों और शोध को लागू किया। उनका उद्देश्य छात्रों और चिकित्सकों को आयुर्वेद की नई विधियों और शोध से अवगत कराना था।
- अन्य प्रतिष्ठित संस्थान
डॉ. उपाध्याय ने अन्य कई संस्थानों में भी कार्य किया, जैसे कि पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क और डेल्टास फार्मा। इन स्थानों पर उन्होंने औषधियों के अनुसंधान, विकास और गुणवत्ता प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डेल्टास फार्मा में फार्मास्युटिकल प्रबंधन में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने अनुसंधान कार्यों में विशेष योगदान दिया, जहाँ उनके द्वारा किए गए प्रयासों से औषधियों के मानक में वृद्धि हुई और उनका उत्पादन विश्वसनीयता के साथ किया गया। यहाँ उन्होंने गुणवत्ता नियंत्रण,औषधीय संयोजनों का परीक्षण, और नए उत्पाद विकास पर कार्य किया, जिससे फार्मा क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता सिद्ध हुई।
डॉ. अवनीश कुमार उपाध्याय के अनुसंधान कार्य
डॉ. उपाध्याय के अनुसंधान कार्यों ने आयुर्वेद के क्षेत्र में नई संभावनाओं को उजागर किया है। उनके कुछ प्रमुख अनुसंधान कार्य इस प्रकार हैं:
- गिलोय पर शोध
डॉ. उपाध्याय ने गिलोय (टिनोस्फोरा कॉर्डिफोलिया) पर गहन शोध किया। उनका शोध पत्र अब तक का सर्वाधिक साइटेड पेपर रहा है, जिसमें उन्होंने गिलोय के औषधीय गुणों और प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ करने में इसकी भूमिका पर विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की।
- कोविड-19 महामारी के दौरान आयुर्वेदिक चिकित्सा उपायों का मूल्यांकन
कोविड-19 महामारी के दौरान, डॉ. उपाध्याय ने आयुर्वेदिक औषधियों के प्रभाव का वैज्ञानिक मूल्यांकन किया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आयुर्वेदिक औषधियों ने रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके शोध ने यह दर्शाया कि आयुर्वेदिक चिकित्सा उपायों का समावेश कैसे रोग की गंभीरता को कम कर सकता है।
- योग और प्राणायाम का नैदानिक मूल्यांकन
डॉ. उपाध्याय ने योग और प्राणायाम के चिकित्सकीय लाभों का भी मूल्यांकन किया। उनके अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि नियमित योग और प्राणायाम से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। विशेष रूप से, उन्होंने तनाव प्रबंधन और मानसिक स्वास्थ्य पर योग के सकारात्मक प्रभावों पर ध्यान केंद्रित किया।
गुणवत्ता नियंत्रण
डॉ. उपाध्याय ने कई कंपनियों में जीएमपी (गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस), जीएलपी (गुड लेबोरेटरी प्रैक्टिस), और HACCP (हजर्ड एनालिसिस एंड क्रिटिकल कंट्रोल पॉइंट) मानकों का कार्यान्वयन सुनिश्चित किया। उन्होंने औषधियों के गुणवत्ता प्रबंधन और मानकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार हुआ। उनके प्रयासों से यहाँ उत्पादित औषधियों का मानक बढ़ा, और ये औषधियाँ बाजार में प्रतिस्पर्धी हुईं।
समाज सेवा और जागरूकता
डॉ. उपाध्याय ने आयुष्मान भारत योजना के तहत विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन किया है। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए और लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति आकर्षित किया। इसके अलावा, उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आयुर्वेदिक औषधियाँ उपलब्ध करवाई।
मुख्यमंत्री सीमांत विकास योजना
डॉ. उपाध्याय ने मुख्यमंत्री सीमांत विकास योजना के अंतर्गत पिथौरागढ़ में लघु निर्माण इकाई की स्थापना में योगदान दिया। इस इकाई में स्थानीय जड़ी-बूटियों से आयुर्वेदिक औषधियों का उत्पादन किया जाता है, जिससे स्थानीय किसानों को रोजगार के अवसर मिले हैं।
डॉ. अवनीश कुमार उपाध्याय की प्रमुख उपलब्धियाँ
डॉ. उपाध्याय ने आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए नए विकास और अनुसंधान में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। उनकी उपलब्धियों में प्रमुख हैं:
- आयुर्वेदिक औषधियों के लिए गुणवत्ता मानकों की स्थापना।
- आयुर्वेदिक उत्पादों के अनुसंधान और विकास में प्रमुख भूमिका।
- विभिन्न समितियों में सदस्यता, जैसे पतंजलि अनुसंधान संस्थान की संस्थागत एथिकल समिति और अनुसंधान सलाहकार बोर्ड।
- राष्ट्रीय आयुष मिशन एवं आयुष्मान भारत के मास्टर ट्रेनर के रूप में राज्य के चिकित्सा अधिकारियों सहित फार्मेसी अधिकारियों वार्ड बॉय आशा सहित विभिन्न स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण का कार्य भी संपन्न किया।
डॉ. उपाध्याय ने योग और प्राणायाम के चिकित्सकीय लाभों का भी मूल्यांकन किया। उनके अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि नियमित योग और प्राणायाम से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, जो आज के तनावपूर्ण जीवनशैली के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है। डॉ. अवनीश कुमार उपाध्याय का कार्य आयुर्वेदिक चिकित्सा में नवाचार और अनुसंधान का प्रतीक है। उनका समर्पण और अनुभव इस क्षेत्र में उत्कृष्टता को दर्शाता है। वे न केवल आयुर्वेद की प्राचीनता को संरक्षित करने के लिए प्रयासरत हैं, बल्कि इसे आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ भी जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। उनका उद्देश्य आयुर्वेद को एक वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में नहीं, बल्कि एक समग्र स्वास्थ्य प्रणाली के रूप में स्थापित करना है। उनका संपूर्ण करियर आयुर्वेद को समाज के हर वर्ग तक पहुँचाने का प्रयास रहा है, और उनके प्रयास भविष्य में आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होंगे। डॉ. उपाध्याय का कार्य न केवल चिकित्सा में, बल्कि समाज में स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण है। उनके अनुसंधान और चिकित्सकीय सेवाएँ आयुर्वेद की प्राचीनता और आधुनिकता के बीच एक महत्वपूर्ण पुल का कार्य करती हैं।
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