कोटद्वार । राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार की संरक्षिका प्राचार्य प्रोफेसर जानकी पंवार के दिशा- निर्देशन में हिंदी विभाग के एमए चतुर्थ सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं हेतु एक शैक्षणिक भ्रमण के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्राचार्य ने गढ़वाली लोकसाहित्य की महत्ता बताते हुए नई पीढ़ी के लिए लोकसाहित्य के प्रचार- प्रसार पर बल दिया और लोकसाहित्य से जुड़े भ्रमण हेतु छात्र- छात्राओ को प्रोत्साहित किया। भ्रमण के अंतर्गत गढ़वाली लोक जीवन के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया गया। शिवपुर, ध्रुवपुर, सत्तीचौड़, मवाकोट इत्यादि क्षेत्रों से होते हुए कण्वघाटी तक छात्र-छात्राओं ने लोक जीवन को बहुत नजदीकी से देखा । मार्ग में एक महिला से परिचय होने पर पता चला कि वह अपनी बेटी को भिंटौली देने आई है। भिंटौली के विषय में डॉ विजय लक्ष्मी ने बताया कि पहाड़ी अंचल में भिंटौली की परंपरा है। जिसमें बेटी के मायके पक्ष द्वारा बेटी, बहनों को चैत के महीने भिंटौली दी जाती है। जिसमें सामर्थ्य के अनुसार भेंट दी जाती है । मवाकोट से लगभग आधा किमी पहले बाबा जगदेव के मंदिर के दर्शन हुए। डॉ सुमन कुकरेती ने गढ़वाली लोक साहित्य में लोक गाथाओं के अंतर्गत बाबा जगदेव के पंवाडे के विषय में विस्तृत जानकारी दी, जिसका ढोल के साथ गायन भी होता है जिन्होंने मां काली को अपना शीश दान किया था ।
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