21 November 2024

भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौता- एक फायदेमंद सौदा

नई दिल्ली : साल भर पहले लागू होने वाला भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौता (इंडऑस ईसीटीए) इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि कैसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार की प्रमुख पहलों को मद्देनजर रखते हुए सभी हितग्राहियों के साथ व्यापक परामर्श के बाद सूझ-बूझ के साथ योजना बनाई जाती है तथा आम आदमी समेत छोटे एवं मध्यम उद्योग के लाभ के लिए प्रभावी ढंग से उन्हें क्रियान्वित किया जाता है।

इंडऑस ईसीटीए दो क्रिकेट-प्रेमी देशों के बीच पारस्परिक रूप से लाभप्रद समझौता है, जो हमारे अमृत काल में आत्मविश्वासी और आकांक्षी नए भारत के वैश्विक दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह दो संसदीय लोकतंत्रों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करता है, जो कानून के शासन का समर्थन करते हैं और समान कानूनी प्रणालियां रखते हैं। दोनों देश जापान और अमेरिका के साथ क्वाड का हिस्सा हैं। दोनों देश जापान के साथ त्रिपक्षीय आपूर्ति श्रृंखला अनुकूलन पहल (एससीआरआई) में शामिल हो गए हैं। दोनों देश 14-सदस्यीय इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) के भी सदस्य हैं।

मुक्त व्यापार संधि (एफटीए) एक दशक से अधिक समय में किसी विकसित देश के साथ भारत की पहली व्यापार संधि है, जिसमें अपार क्षमता निहित है। भारत मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया से कच्चा माल और मध्यवर्ती सामान आयात करता है, जबकि इसका निर्यात मुख्य रूप से तैयार उत्पाद हैं। इसलिए, एफटीए भारतीय उद्यमियों की उत्पादन लागत को कम करेगा और उनके सामान को घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा। इससे भारतीय स्टार्ट-अप को आगे बढ़ने के बेहतरीन अवसर भी मिलते हैं।

निर्यात में मजबूत वृद्धि

आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि इंडऑस ईसीटीए ने एक बहुत ही आशाजनक शुरुआत की है, जिसने मोदी सरकार के इस विश्वास को मजबूत किया है कि इससे श्रम-केंद्रित क्षेत्रों में लाखों नौकरियां पैदा करने में मदद मिलेगी, क्योंकि भारतीय उत्पादों को विशाल ऑस्ट्रेलियाई बाजार में शत-प्रतिशत शुल्क-मुक्त पहुंच मिलती है।

अप्रैल-नवंबर 2023-24 में ऑस्ट्रेलिया को भारत का माल निर्यात 14 प्रतिशत बढ़ा है, जो चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल में बाकी दुनिया के साथ भारत के व्यापार की तुलना में निर्णायक रूप से बेहतर प्रदर्शन है। प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मांग सिकुड़ गई है। ऑस्ट्रेलिया का कुल आयात चार प्रतिशत कम हो गया है, लेकिन भारत से इसकी खरीदारी जोरदार तरीके से बढ़ी है। ऑस्ट्रेलिया से भारत का आयात 19 प्रतिशत कम हो गया है, जिससे व्यापार घाटे में 39 प्रतिशत कमी आ गई है।

रोजगार का सृजन करने वाले क्षेत्रों में प्रेफेंशियल लाइन्स के तहत ऑस्ट्रेलिया को निर्यात में जोरदार वृद्धि हुई। ऑस्ट्रेलिया को इंजीनियरिंग सामानों का निर्यात अप्रैल-अक्टूबर 2023-24 में 24 प्रतिशत बढ़ गया, जबकि कुल निर्यात में केवल एक प्रतिशत की वृद्धि हुई। रेडीमेड कपड़ों में, ऑस्ट्रेलिया को शिपमेंट में 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि कुल निर्यात में गिरावट आई। आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौते (ईसीटीए) ने ऑस्ट्रेलिया को इलेक्ट्रॉनिक्स सामान और प्लास्टिक के शिपमेंट में इन क्षेत्रों में समग्र निर्यात से बेहतर प्रदर्शन करने में मदद की।

इसके अलावा, भारत ऑस्ट्रेलिया को 700 से अधिक नई वस्तुओं का निर्यात कर रहा है। वर्ष 2023-24 के पहले 10 महीनों में ये निर्यात 335 मिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जिसमें 65 मिलियन डॉलर के स्मार्टफोन भी शामिल हैं। अन्य नए उत्पादों में रत्न और आभूषण क्षेत्र की कई वस्तुएं, लाइट ऑयल, गैर-औद्योगिक हीरे और साथ ही रेशम से बने स्कर्ट और कपड़े शामिल हैं।

एफडीआई में बड़ा उछाल

हमारे व्यापार साझीदार मानते हैं कि प्रधानमंत्री ने भारतीय अर्थव्यवस्था को सराहनीय ढंग से आगे बढ़ाया है, जिससे इस उथल-पुथल भरी दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था आशा की किरण बन गई है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में,  भारत 2027 तक एक विकसित देश बनने की राह पर है। हमारे व्यापारिक साझेदार इस ताकत को पहचानते हैं और कृषि व डेयरी जैसे हमारे संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा के बारे में हमारी चिंताओं को समझते हैं।

भारत के विकास पथ में विश्वास,  निवेशक अनुकूल नीतियों और प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा किए गए परिवर्तनकारी सुधारों के साथ इंडऑस ईसीटीए ने भारत को ऑस्ट्रेलियाई व्यवसायों के लिए और भी अधिक आकर्षक बना दिया है।

इस वर्ष जनवरी से सितंबर तक ऑस्ट्रेलिया से कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़कर 307.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो पूरे 2022 में प्राप्त 42.43 मिलियन अमेरिकी डॉलर का सात गुना है। परामर्श सेवाओं में एफडीआई 2022 में 0.15 मिलियन अमेरिकी डॉलर के मामूली स्तर से बढ़कर 248 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।

सेवा क्षेत्र में काफी वृद्धि दर्ज की गई है। भारत के आईटी और व्यावसायिक सेवाओं के निर्यात ने अपनी मजबूत गति जारी रखी। शिक्षा, ऑडियो-विजुअल सेवाओं और मोबिलिटी के क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया के साथ अन्य द्विपक्षीय समझौतों से ईसीटीए की गति में इजाफा हुआ है। इसके कारण व्यापार गतिशीलता में 50 प्रतिशत से अधिक और भारतीय छात्रों के लिए अध्ययन के बाद के कामकाजी-वीजा में लगभग शत-प्रतिशत की मजबूत वृद्धि देखी गई। यह इस दिशा में उल्लेखनीय कदम है।

ईसीटीए के बाद दोहरे कराधान से मुक्त भारतीय आईटी उद्योग अब समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रहा है। उद्योग जगत के कुछ अनुमानों के अनुसार, पिछले वर्ष इसने करोड़ों डॉलर की बचत की है। ईसीटीए की सफलता से उत्साहित होकर नैसकॉम, ऑस्ट्रेलिया में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने के लिए आईटी क्षेत्र में एसएमई को सुविधा प्रदान करने के संबंध में एक तंत्र स्थापित कर रहा है।

व्यापार सौदों के लिए नया दृष्टिकोण

इंडऑस ईसीटीए और पिछले साल संयुक्त अरब अमीरात के साथ इसी तरह के समझौते पर राष्ट्रीय और क्षेत्रीय वाणिज्य मंडलों, निर्यातकों, उद्योग-विशिष्ट समूहों, अर्थशास्त्रियों, व्यापार विशेषज्ञों,  विभिन्न मंत्रालयों और विभाग सहित उद्योग के हर वर्ग के साथ व्यापक परामर्श के बाद हस्ताक्षर किए गए थे। उद्योग जगत के दिग्गजों ने दोनों एफटीए की काफी सराहना की। यह पिछले व्यापार समझौतों की तुलना में एक बड़ा कदम है, जिनमें इतना व्यापक परामर्श शामिल नहीं था।

प्रधानमंत्री मोदी इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट हैं कि हर नीति या समझौता राष्ट्रीय हित में होना चाहिए और देश के लिए लाभकारी होना चाहिए। इसी भावना से, हमने मॉरीशस, ऑस्ट्रेलिया और यूएई के साथ व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं तथा वही मार्गदर्शक सिद्धांत अन्य देशों के साथ बातचीत को आकार दे रहे हैं।

हम निष्पक्ष, पारदर्शी और पारस्परिक रूप से लाभप्रद समझौतों की आकांक्षा रखते हैं, जो हमारे व्यवसायों को प्रतिस्पर्धी बनाते हैं,  उनके लिए नए बाजार खोलते हैं, और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि ये एफटीए व्यापार और वाणिज्य का विस्तार करते हैं तथा आर्थिक विकास को गति देते हैं। इससे रोजगार और व्यापार के अवसर पैदा होते हैं। ऑस्ट्रेलिया के साथ एफटीए ने अपने पहले वर्ष में यह कर दिखाया है।

लेखक : पीयूष गोयल, वाणिज्य एवं उद्योग, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, उपभोक्ता मामले और वस्त्र मंत्री हैं