देहरादून: उत्तराखंड में बनी शॉर्ट फिल्म अलार्म घड़ी का दादा साहब फाल्के अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल, मुंबई में आधिकारिक चयन हुआ। गौरतलब है कि मुंबई में आयोजित होने वाले दादा साहब फाल्के अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में उत्तराखंड की शॉर्ट फिल्म ‘ अलार्म घड़ी’ का आधिकारिक रूप से चयन किया गया है । अलार्म घड़ी की कहानी उत्तराखंड की सच्ची घटना पर आधारित है। वर्तमान समय में जहां नौजवान नशे में पड़कर अपने जीवन से हाथ धो बैठता है ऐसे में शॉर्ट फिल्म अलार्म घड़ी एक ऐसे बच्चे संपन्न के जीवन से रूबरू कराती है जिसने अपने मां – बाप को प्राकृतिक आपदाओं के चलते खो दिया है जिस पर किसी का कोई जोर नहीं है ।
ऐसे में वो और उसकी बीमार दादी ही अब घर में बचे है । इतनी कठिन परिस्थिति में भी वो मेहनत कर अपने और अपनी दादी की जिम्मेदारी उठाना चाहता है । जब एक महिला सैलानी उसको कहती है की वो कुछ पैसे लेले और अपने लिए कुछ अच्छा खरीद ले तो संपन्न मना कर देता है ऐसे में महिला के पूछने पर वो कहता है की आप मेरे लिए अलार्म घड़ी लेकर आना। ताकि मैं समय से उठकर स्कूल जा सकूं।और पढ़ लिख कर अपने गांव – अपने समाज के लिए कुछ बेहतर कर सकू । शॉर्ट फिल्म की कहानी अत्यंत मार्मिक है साथ ही फिल्म के कुछ दृश्य दर्शकों को झंझोर कर रख देते है । फिल्म का लेखन कृतज्ञा एवं काव्या कथायत ने किया है ।
फिल्म का निर्देशन शुभम शर्मा ने किया है । फिल्म का निर्माण डी. डी फिल्म एंड प्रोडक्शन के बैनर तले किया गया है । फिल्म की निर्माता दीपा धामी कथायत बताती है की फिल्म को मुंबई में आयोजित होने वाले नेशनल स्टूडेंट फिल्म महोत्सव में भी सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी के सम्मान से नवाजा जा चुका है साथ ही मेरठ में आयोजित होने नवांकुर फिल्म महोत्सव में भी सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म पुरुस्कार से सम्मानित किया जा चुका है । साथ ही फिल्म के बाल कलाकार वत्सल राठौर को उनकी अदायगी के लिए बेस्ट चाइल्ड एक्टर अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है ।
फिल्म को देहरादून में आयोजित होने वाले देहरादून अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भी भरपूर पीयार मिला है ।फिल्म के कलाकारों में नीलम रावत ने संपन्न की मां, मनोहारी जी ने संपन्न की दादी, डा. चेतना चौहान ने सैलानी तथा विनोद रावत ने पड़ोसी की भूमिका निभाई है । जिन्हे दर्शकों को खूब सराहना एवं प्यार मिल रहा है । फिल्म में दिल को छु जाने वाले संगीत का निर्देशन कावन भट्ट ने किया है तथा आजा मां जैसे रूह में उतर जाने वाले गीत को दीपा धामी ने खुद लिखा तथा उत्तराखंड के उभरते गायक श्रेष्ठ नेगी ने गाया है । फिल्म का आर्ट निर्देशन जानें माने कला निर्देशक सचिन शुक्ला ने किया है। फिल्म की एडिटिंग सागर गुसाईं ने की है। फिल्म की सिनेमेटग्राफी दीपक सिंह रावत ने की है। फिल्म का सह निर्देशन सुमित साहित्य और अभिनय कुमार द्वारा किया गया है।
फिल्म की प्रोडक्शन टीम में सचिन कश्यप, नितिन कुमार, प्रेम, प्रांजल घनशाला, मनीष राठौर, आदि रहे है । फिल्म के प्रोडक्शन डिजाइनर रवि करनवाल बताते है की फिल्म की शूटिंग के दौरान कई कठिन परिस्थितियों से टीम को गुजरना पड़ा । प्राकृतिक आपदाओं के चलते मार्ग ध्वस्त हो जाने से पूरी टीम को काफी संघर्ष करना पड़ा । पर ऐसे में भी सबने एक साथ जुटकर हालात का सामना किया। जिसका परिणाम है की आज दर्शकों का भरपूर प्यार एवं आशीर्वाद हमें मिल रहा है।
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