हरिद्वार : भारतीय चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहन देने और नागरिकों का प्रकृति परीक्षण करने के उद्देश्य से, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार और भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग, नई दिल्ली द्वारा संचालित “देश का प्रकृति परीक्षण अभियान” के अंतर्गत आज, 9 दिसंबर 2024 को उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के ऋषिकुल परिसर, हरिद्वार में एक विशेष बैठक और कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अभियान के तहत उत्तराखंड में भारतीय चिकित्सा परिषद को नोडल एजेंसी के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई है। कार्यक्रम में भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के अध्यक्ष एवं राज्य समन्वय डॉ. जे. नौटियाल, राज्य समन्वयक डॉ. डी.के. श्रीवास्तव और डॉ. अनिल थपलियाल, रजिस्ट्रार श्रीमती नर्वदा गुसाईं सहित जिला समन्वयक डॉ. नरेश चौधरी, डॉ. भास्कर आनंद शर्मा, डॉ. अवनीश उपाध्याय, डॉ. रजीब कुरेले, डॉ. दीपिका वर्मा, और विशेष सहयोगी बोर्ड सदस्य डॉ. विशाल वर्मा ने भाग लिया।
देश का प्रकृति परीक्षण अभियान की मुख्य विशेषताएं
बैठक में वक्ताओं ने अभियान के उद्देश्य और प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग द्वारा एक विशेष ऐप विकसित किया गया है, जिसके माध्यम से नागरिकों का प्रकृति परीक्षण किया जाएगा। यह परीक्षण पंजीकृत आयुर्वेद चिकित्सकों, शिक्षकों, छात्रों और चिकित्सा अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।
- पंजीकरण प्रक्रिया : ऐप पर पंजीकृत चिकित्सक और नागरिक, दोनों को अपनी जानकारी दर्ज करनी होगी।
- लक्ष्य : अभियान का लक्ष्य 1 करोड़ नागरिकों का प्रकृति परीक्षण करना है।
- अवधि : यह अभियान 26 नवंबर 2024 से 25 दिसंबर 2024 तक चलेगा।
कार्यक्रम में ऋषिकुल आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज हरिद्वार के बीएएमएस और पोस्ट ग्रेजुएट छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और प्रोफेसरों के साथ-साथ अन्य मान्यता प्राप्त आयुर्वेदिक पैरामेडिकल कॉलेजों के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और प्रधानाचार्यों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
भारतीय चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष और रजिस्ट्रार ने सभी शिक्षकों, चिकित्सा अधिकारियों, और छात्रों से अपील की कि वे अधिक से अधिक नागरिकों को इस अभियान से जोड़कर उनका प्रकृति परीक्षण सुनिश्चित करें। कार्यक्रम के समापन पर रजिस्ट्रार नर्वदा गुसाईं ने सभी प्रतिभागियों, विशेष रूप से ऋषिकुल परिसर के अधिकारियों, शिक्षकों और छात्रों का आभार व्यक्त किया।
देश के स्वास्थ्य को नई दिशा देगा यह अभियान
“देश का प्रकृति परीक्षण अभियान” आयुर्वेद और भारतीय चिकित्सा पद्धति को जन-जन तक पहुंचाने और नागरिकों को उनकी प्रकृति के अनुसार स्वास्थ्य की जानकारी प्रदान करने का एक अभिनव प्रयास है। उत्तराखंड में इस अभियान की सफलता के लिए सभी संबंधित संस्थाओं और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी अपेक्षित है।
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